रायपुर: जनजातीय समाज और वनों का गहरा संबंध है, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। नवा रायपुर में आयोजित कार्यशाला में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि वन आधारित आजीविका को बढ़ावा देने से जनजातीय समाज की उन्नति संभव होगी। इस कार्यशाला का आयोजन नीति आयोग और वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के संयुक्त तत्वाधान में किया गया।
जनजातीय समुदायों के लिए सरकार की पहल
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 32% जनजातीय समुदाय निवासरत है और 44% क्षेत्र वनाच्छादित है। उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना कर विकास की नींव रखी। इसके बाद, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पीडीएस प्रणाली और वनोपज की खरीदी शुरू कर आदिवासियों को आर्थिक रूप से सशक्त किया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 67 प्रकार के लघु वनोपज का संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रोत्साहन योजनाओं से स्व-सहायता समूहों की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।
प्रधानमंत्री योजनाओं का लाभ
मुख्यमंत्री ने पीएम-जनमन योजना और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि ये योजनाएँ जनजातीय बाहुल्य गाँवों को आर्थिक मजबूती और आजीविका के अवसर प्रदान कर रही हैं।
वन उत्पाद स्टालों का अवलोकन
मुख्यमंत्री साय ने अरण्य भवन परिसर में वन आधारित उत्पादों के स्टालों का निरीक्षण किया। लीफ प्लेट टेक्नोलॉजी, हैदराबाद की टीम ने उन्हें पत्तों से बने डिनर सेट भेंट किए। बीजापुर के बी.आर. राव, जो 35 वर्षों से वनौषधीय पौधों के बीज संरक्षण में लगे हैं, ने अपने ‘गमलों से जंगल की ओर’ अभियान की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने उनके प्रयासों की सराहना की।
बलौदाबाजार जिले के अमरवा बांस प्रसंस्करण केंद्र, लाख उत्पादक किसान समिति कांकेर, छत्तीसगढ़ हर्बल, और जशप्योर एफपीसी जशपुर के स्टालों का अवलोकन करते हुए मुख्यमंत्री ने समूहों की गतिविधियों पर चर्चा की और उनके प्रयासों की सराहना की।
इस अवसर पर वन मंत्री केदार कश्यप, नीति आयोग के सलाहकार सुरेंद्र मेहता, प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा, वन बल प्रमुख व्ही श्रीनिवास राव सहित झारखंड, मध्यप्रदेश, ओडिशा और कर्नाटक से आए अधिकारी और विशेषज्ञ उपस्थित रहे।