रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नान घोटाले (NAN Scam) में एक बार फिर तबाही की आंच तेज हो गई है। इस मामले में पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला, और राज्य के पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। FIR के बाद अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला के रायपुर स्थित आवासों पर छापेमारी की गई, जिसमें आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए हैं।
क्या हैं आरोप?
✔️ पद का दुरुपयोग और कार्रवाई को प्रभावित करने की साजिश
FIR में आरोप है कि लोक सेवकों (टुटेजा और शुक्ला) ने अपने पद का दुरुपयोग कर आर्थिक अपराध शाखा (EOW)/ACB रायपुर में 2015 में दर्ज FIR और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में हस्तक्षेप करने की कोशिश की।
✔️ ईडी की कार्रवाई को विफल करने की योजना
आयकर विभाग द्वारा जब्त डिजिटल सबूतों के अनुसार, इन अफसरों ने एनएएन घोटाले की जांच में बाधा डालने और उसे विफल करने के प्रयास किए।
✔️ महाधिवक्ता को गलत दिशा में प्रेरित करने का आरोप
आरोप है कि इन लोक सेवकों ने तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश वर्मा को गलत तरीके से प्रभावित कर, जांच एजेंसियों (ईडी और एसीबी) से खुद को बचाने के लिए अग्रिम जमानत प्राप्त करने की साजिश रची।
दस्तावेजों में फेरबदल का भी आरोप
FIR में यह भी कहा गया है कि आरोपी लोक सेवकों ने राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों से दस्तावेजों में फेरबदल करवाया। यह फेरबदल नान प्रकरण से संबंधित हाईकोर्ट में दाखिल होने वाले जवाबों और विभागीय दस्तावेजों में किया गया।
क्या है नान घोटाला?
नान घोटाला छत्तीसगढ़ राज्य के नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) से जुड़ा एक बड़ा आर्थिक भ्रष्टाचार है, जिसमें हजारों करोड़ के खाद्यान्न और ट्रांसपोर्टेशन में हेराफेरी के आरोप लगे थे। 2015 में इसकी FIR नंबर 9/2015 दर्ज की गई थी, और इसके बाद से अब तक कई जांच एजेंसियां इस मामले की परतें खोल चुकी हैं।
जांच जारी, गिरफ्तारी की संभावना
ACB और EOW की टीमें अब इस मामले की गहन जांच में जुटी हैं। सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तारी की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा रहा है। इस बीच सियासी गलियारों में भी इस कार्रवाई को लेकर हलचल तेज हो गई है।