छत्तीसगढ़ में पब्लिक लीडरशिप प्रोग्राम का आगाज, मुख्यमंत्री साय बोले- “सीखने की कोई उम्र नहीं”

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भारतीय प्रबंध संस्थान (IIM) रायपुर में आयोजित दो दिवसीय पब्लिक लीडरशिप प्रोग्राम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए। छत्तीसगढ़ का विकास ही हमारा मूल उद्देश्य है, और हमें प्रदेशवासियों के हित में समर्पित रहना चाहिए।”

सीखने की कोई उम्र नहीं – मुख्यमंत्री साय

मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम को नेतृत्व क्षमता बढ़ाने का सुनहरा अवसर बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा “सीखते रहने” पर जोर देते हैं, क्योंकि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। उन्होंने कहा कि कई अनुभवी विधायक भी इस कार्यक्रम को लेकर उत्साहित हैं, जो यह साबित करता है कि वे प्रदेश के विकास को लेकर संजीदा हैं।

साय ने कहा कि एक जनप्रतिनिधि के रूप में आम जनता से संवाद और संबंध सबसे बड़ी पूंजी है। इससे न केवल उनके प्रति विश्वास बढ़ता है, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था भी मजबूत होती है।

छत्तीसगढ़ 2047 के लक्ष्य को हासिल करने में कार्यक्रम उपयोगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह लीडरशिप प्रोग्राम नवीन समाधानों को साझा करने का एक मजबूत मंच है और “विकसित छत्तीसगढ़ 2047” के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।

उन्होंने राज्य में ई-ऑफिस प्रणाली का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ी है। साथ ही, उन्होंने सार्वजनिक हित में तकनीक के अधिकतम उपयोग पर भी बल दिया।

विधानसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का संबोधन

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि “हम केवल अपने क्षेत्र के लिए नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के विकास के लिए काम कर रहे हैं। एक जनप्रतिनिधि के रूप में जीत के बाद जिम्मेदारी और बढ़ जाती है, इसलिए हमें हमेशा सीखते रहना चाहिए।”

नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि “विधायक बनते ही कोई लीडर नहीं बन जाता, बल्कि यह एक निरंतर सीखने की प्रक्रिया है। हमें नेतृत्व कौशल को विकसित करना होगा और छत्तीसगढ़ की उन्नति के लिए मिलकर काम करना होगा।”

कार्यक्रम में शामिल गणमान्य व्यक्ति

इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्यगण, नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम, IIM रायपुर के निदेशक श्री राम कुमार, प्रोफेसर सुमीत गुप्ता, प्रोफेसर संजीव पराशर, प्रोफेसर अर्चना पराशर सहित कई अन्य प्रमुख हस्तियां उपस्थित थीं।

यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक नेतृत्व और सुशासन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकता है।

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