चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा की आराधना के लिए समर्पित है। देवी का स्वरूप पराक्रम और साहस का प्रतीक माना जाता है। उनकी सवारी बाघिन है और माथे पर अर्धचंद्र सुशोभित है, जिससे उन्हें चंद्रघंटा नाम मिला। देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह के पश्चात यह रूप धारण किया था।
मां चंद्रघंटा का महत्व
मां चंद्रघंटा की कृपा से भक्तों को शांति, समृद्धि और शक्ति प्राप्त होती है। उनकी पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है। यह देवी मणिपुर चक्र से जुड़ी मानी जाती हैं, जिससे आध्यात्मिक उन्नति होती है।
मां चंद्रघंटा मंत्र
“या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
कैसे करें मां चंद्रघंटा की पूजा?
🔹 देवी की प्रतिमा को पवित्र जल से स्नान कराएं।
🔹 मां को पीले वस्त्र और चमेली के फूल अर्पित करें।
🔹 पंचामृत, मिश्री और खीर का भोग लगाएं।
🔹 मंत्र जाप करें और मां से कृपा की प्रार्थना करें।
नवरात्रि के तीसरे दिन का शुभ रंग
इस दिन ग्रे रंग धारण करना शुभ माना जाता है, जो आत्मसंयम और स्थिरता का प्रतीक है।
पूजा के शुभ मुहूर्त (1 अप्रैल 2025)
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ब्रह्म मुहूर्त: 04:39 – 05:25
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अभिजित मुहूर्त: 12:00 – 12:50
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विजय मुहूर्त: 14:30 – 15:20
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गोधूलि मुहूर्त: 18:38 – 19:01
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अमृत काल: 06:50 – 08:16
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सर्वार्थ सिद्धि योग: 11:06 – 06:10 (अप्रैल 02)