- ऐतिहासिक संदर्भ
- गुजरात में पहले भी होते थे सांप्रदायिक दंगे
- 2002 के बाद राज्य में कोई साम्प्रदायिक हिंसा नहीं
- गोधरा कांड की पृष्ठभूमि
- अत्यंत संवेदनशील और तनावपूर्ण माहौल
- लोग जिंदा जलाए गए
- 9/11, संसद हमला जैसी भयावह घटनाओं के समान
- राजनीतिक दबाव
- विरोधियों द्वारा दोषी ठहराने का प्रयास
- अदालतों ने बार-बार किया निर्दोष
- केंद्र में बैठे विरोधियों का षड्यंत्र
- चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां
- भूकंप से उबरता गुजरात
- तनावपूर्ण राष्ट्रीय माहौल
- छोटी घटनाएं भी बड़ा बवाल पैदा कर सकती थीं
- प्रशासनिक प्रतिक्रिया
- कठोर कदम उठाए गए
- दंगों को नियंत्रित करने का प्रयास
- न्यायिक प्रक्रिया का पालन
महत्वपूर्ण उद्धरण:
“अगर 2002 से पहले के आंकड़े देखें, तो पाएंगे कि गुजरात में बार-बार दंगे होते थे. कहीं न कहीं कर्फ्यू लगाना पड़ता था और मामूली कारणों से भी साम्प्रदायिक हिंसा होती थी.”
निष्कर्ष:
पीएम मोदी ने गोधरा कांड और उसके बाद की घटनाओं पर अपना पक्ष रखा, जिसमें उन्होंने राजनीतिक दबाव, न्यायिक जांच और उस समय की जटिल परिस्थितियों का विस्तृत वर्णन किया।