बुधवार सुबह अफगानिस्तान के हिंदूकुश क्षेत्र में तेज भूकंप के झटकों ने दक्षिण एशिया के कई देशों को हिला दिया। 5.9 तीव्रता का यह अफगानिस्तान भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इसका असर भारत, पाकिस्तान और तजाकिस्तान तक महसूस किया गया। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र जमीन से 75 किलोमीटर की गहराई में था।
भारत में दिल्ली-एनसीआर, पंजाब और उत्तर भारत के कई हिस्सों में लोगों ने सुबह-सुबह झटकों को महसूस किया। सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कुछ सेकंड तक फर्श और दीवारें हिलती हुई महसूस हुईं। हालांकि, भारत में किसी तरह के जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
इधर, म्यांमार में भी पिछले कुछ हफ्तों से भूकंप के झटकों की एक श्रृंखला चल रही है। 28 मार्च को आए विनाशकारी भूकंप के बाद से लगभग रोजाना आफ्टरशॉक्स दर्ज किए जा रहे हैं। 14 अप्रैल को आए भूकंप की तीव्रता 4.0 मापी गई, जिसका असर मणिपुर समेत पूर्वोत्तर भारत में महसूस किया गया।
म्यांमार की सैन्य सरकार ने पुष्टि की है कि 28 मार्च के भूकंप में अब तक करीब 3,649 लोगों की मौत हो चुकी है और 5,018 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि इस आपदा ने म्यांमार में जारी मानवीय संकट को और गंभीर बना दिया है।
अफगानिस्तान भूकंप और म्यांमार के झटकों ने एक बार फिर दिखा दिया कि यह पूरा क्षेत्र भूकंपीय दृष्टि से कितना संवेदनशील है। ऐसे में सतर्क रहना और आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है।