मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व और खनिज साधन विभाग के सचिव पी. दयानंद के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में खनिज राजस्व का नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इस साल राज्य को 14,195 करोड़ रुपये का खनिज राजस्व प्राप्त हुआ, जो पिछले वर्ष (12,795 करोड़ रुपये) की तुलना में 11% अधिक है।
खनिज राजस्व में दंतेवाड़ा अव्वल
प्रदेश में सबसे ज्यादा 6580 करोड़ रुपये का योगदान दंतेवाड़ा जिले ने दिया। अन्य जिलों का योगदान इस प्रकार है:
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कोरबा: 2148 करोड़ रुपये
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रायगढ़: 2027 करोड़ रुपये
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बालोद: 1313 करोड़ रुपये
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सरगुजा: 585 करोड़ रुपये
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बलौदाबाजार: 354 करोड़ रुपये
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कांकेर: 328 करोड़ रुपये
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सूरजपुर: 155 करोड़ रुपये
राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ की भागीदारी
छत्तीसगढ़ भारत के कुल भू-भाग का सिर्फ 4% है, लेकिन देश के कुल खनिज उत्पादन मूल्य में इसकी हिस्सेदारी 16% से अधिक है। राज्य में लौह अयस्क, कोयला, चूना पत्थर और बाक्साइट के बड़े भंडार हैं, जो खनिज राजस्व के प्रमुख स्रोत हैं।
ई-नीलामी प्रणाली से बढ़ी कमाई
2015 से खनिज विभाग ई-नीलामी प्रणाली के तहत खदानों का आवंटन कर रहा है, जिससे रॉयल्टी के अलावा प्रीमियम से अतिरिक्त राजस्व मिल रहा है।
खनिज विकास मद से अधोसंरचना को मजबूती
राज्य सरकार खनिज राजस्व का 5% “खनिज विकास मद” में स्थानांतरित करती है। 2025-26 में 200 करोड़ रुपये सिर्फ रेल कॉरिडोर निर्माण के लिए आरक्षित किए गए हैं।
खनिज क्षेत्र बना सामाजिक-आर्थिक विकास का इंजन
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा,
“छत्तीसगढ़ की धरती केवल खनिज संपदा से नहीं, बल्कि विकास की असीम संभावनाओं और जनकल्याण के संकल्प से भी समृद्ध है। 14,195 करोड़ रुपये का खनिज राजस्व प्राप्त कर हमने एक नई ऊँचाई को छुआ है। ई-नीलामी, तकनीकी नवाचार और सुशासन के माध्यम से हम खनिज क्षेत्र को केवल राजस्व संग्रहण का माध्यम नहीं, बल्कि विकास के इंजन के रूप में परिवर्तित कर रहे हैं।”