अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इसे अबूझ मुहूर्त कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना किसी पंचांग देखने की आवश्यकता के किया जा सकता है। इस साल अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025, दिन बुधवार को मनाई जाएगी।
तृतीया तिथि की शुरुआत 29 अप्रैल को शाम 5:32 बजे होगी और 30 अप्रैल को दोपहर 2:13 बजे समाप्त होगी। चूंकि हिंदू धर्म में उदयातिथि का महत्व अधिक होता है, इसलिए अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी।
अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त
हालांकि तृतीया तिथि 30 अप्रैल को दोपहर 2:13 बजे समाप्त हो जाएगी, लेकिन उदयातिथि के कारण पूरे दिन इसका महत्व रहेगा। इस दिन धर्म-कर्म, दान-पुण्य, खरीदारी और नए कार्यों की शुरुआत के लिए सबसे शुभ समय दोपहर 2:13 बजे तक रहेगा।
अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय तृतीया को शुभ और पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का कभी क्षय नहीं होता। इस दिन के धार्मिक महत्व में शामिल हैं:
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गंगा अवतरण – मान्यता है कि इसी दिन गंगा नदी का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था।
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युगों की शुरुआत – इस दिन से सतयुग, द्वापरयुग और त्रेतायुग की गणना की जाती है।
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भगवान परशुराम का जन्म – भगवान विष्णु के दशावतारों में से छठे अवतार भगवान परशुराम इसी दिन प्रकट हुए थे।
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चारधाम यात्रा का प्रारंभ – अक्षय तृतीया से ही गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खोले जाते हैं, जिससे उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की शुरुआत होती है।
क्या करें और क्या न करें?
✅ क्या करें:
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माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करें।
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इस दिन सोना, चांदी, भूमि, वाहन या अन्य संपत्तियों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है।
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गरीबों को दान-पुण्य करें, जिससे अक्षय फल प्राप्त होता है।
❌ क्या न करें:
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इस दिन किसी भी प्रकार के नकारात्मक कार्य, झूठ, छल-कपट या पाप कर्म करने से बचना चाहिए।
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क्रोध और अहंकार से दूर रहना चाहिए।