लंबी बहस और विपक्ष के तीखे विरोध के बावजूद वक्फ संशोधन विधेयक बृहस्पतिवार देर रात राज्यसभा में भी पारित हो गया। 13 घंटे की चर्चा के बाद उच्च सदन ने विपक्ष के सभी संशोधन प्रस्ताव ध्वनिमत से खारिज कर दिए। इससे पहले, लोकसभा ने भी बहुमत से विधेयक पारित कर दिया था। अब यह विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून का रूप ले लेगा।
विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी बहस
विधेयक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर बहस हुई। विपक्ष की ओर से मल्लिकार्जुन खरगे, रामगोपाल यादव और कपिल सिब्बल जैसे दिग्गजों ने विरोध जताया, जबकि जेपी नड्डा, किरेन रिजिजू और राधामोहन अग्रवाल ने सरकार का पक्ष मजबूती से रखा।
सरकार ने विपक्ष के आरोपों को किया खारिज
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर दखल नहीं दे रही, बल्कि उनके पारदर्शी प्रबंधन की व्यवस्था कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिमों का बहुमत नहीं होगा और पहले से रजिस्टर संपत्तियों में कोई बदलाव नहीं होगा।
विपक्ष का विरोध और सरकार का जवाब
विपक्ष ने विधेयक को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बताया और कहा कि इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है। कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी और राजद के मनोज झा ने इसे मुस्लिमों को मुख्यधारा से अलग करने की साजिश बताया। वहीं, भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस भूमि अधिग्रहण के खेल में लगी हुई है।
अब आगे क्या?
अब विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। अधिसूचना जारी होते ही यह विधेयक कानून बन जाएगा, जिससे वक्फ संपत्तियों के प्रशासनिक प्रबंधन में सुधार की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।