नई दिल्ली। देश में बढ़ते मंदिर-मस्जिद विवादों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की ओर से सख्त और स्पष्ट प्रतिक्रिया सामने आई है। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि अगर हम हर मस्जिद के नीचे मंदिर की तलाश में लग जाएंगे, तो यह देश को और समाज को केवल नफरत और दुश्मनी की ओर ले जाएगा।
कर्नाटक स्थित ‘विक्रमा’ साप्ताहिक पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार में होसबाले ने कहा,
“अगर हम 30,000 मस्जिदों को खोदना शुरू करें तो भारत किस दिशा में जाएगा? क्या हमें समाज में और अधिक नाराजगी फैलानी है या फिर एकजुट होकर भविष्य की ओर बढ़ना है?”
राम मंदिर आंदोलन से लेकर आज तक
होसबाले ने स्पष्ट किया कि राम जन्मभूमि आंदोलन संघ ने नहीं शुरू किया था, लेकिन उसके सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए स्वयंसेवक उससे जुड़े। उन्होंने कहा कि पहले सिर्फ अयोध्या, काशी और मथुरा जैसे तीन स्थानों की बात थी, लेकिन अब हर मस्जिद पर सवाल उठाना गंभीर सामाजिक संकट को जन्म दे सकता है।
संघ की प्राथमिकता – समाज का समग्र विकास
होसबाले ने कहा कि मंदिरों की खुदाई की बजाय यदि हम समाज में हिंदू धर्म की चेतना जगाएं, तो मंदिर-मस्जिद विवाद स्वयं समाप्त हो जाएगा।
“हमें इमारतों में धर्म नहीं खोजना चाहिए, बल्कि समाज में धर्म और संस्कृति की चेतना पैदा करनी चाहिए।”
भारतीय मुसलमानों के लिए भी दिया संदेश
उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमानों को अपनी धार्मिक प्रथाएं अपनाने की स्वतंत्रता है, लेकिन उन्हें अपने राष्ट्रीय और सांस्कृतिक मूलों को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि किसी को हिंदू होने के लिए धर्म परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है।
शिक्षा, भाषा और राजनीति पर भी विचार
- भाषा: संघ शिक्षा में मातृभाषा को प्राथमिकता देने का पक्षधर है।
- राजनीति: RSS किसी एक पार्टी से नहीं जुड़ा, लेकिन उसके विचारों से मेल खाने वाले लोग स्वाभाविक रूप से साथ आते हैं।
- जाति और धर्मांतरण: संघ जातिगत भेद को नकारता है और सभी को समान मानता है।
‘अखंड भारत’ की अवधारणा बनी रहेगी
होसबाले ने कहा कि ‘अखंड भारत’ का विचार आज भी संघ के लिए प्रासंगिक है, लेकिन इसे तभी साकार किया जा सकता है जब भारत भीतर से सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक रूप से शक्तिशाली बने।