भारत में जल्द लागू होगा GPS आधारित टोल सिस्टम, टोल प्लाजा और फास्टैग होंगे बीते जमाने की बात

नई दिल्ली। अब टोल प्लाजा पर रुकने की झंझट खत्म होने वाली है। केंद्र सरकार अगले 15 दिनों में एक नई टोल नीति लाने जा रही है, जिससे भारत का टोल कलेक्शन सिस्टम पूरी तरह सैटेलाइट आधारित और हाईटेक हो जाएगा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि सरकार अब GPS आधारित टोल वसूली सिस्टम की ओर बढ़ रही है।


क्या है GPS Toll System?

यह एक सैटेलाइट-आधारित प्रणाली है जिसमें प्रत्येक वाहन में एक On-Board Unit (OBU) डिवाइस लगाया जाएगा। यह डिवाइस GNSS (Global Navigation Satellite System) टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए वाहन की रीयल टाइम लोकेशन और दूरी को ट्रैक करेगा।

✅ वाहन जैसे ही हाईवे पर चलेगा,
✅ सिस्टम उसकी यात्रा की दूरी को मापेगा,
✅ उसी आधार पर टोल की राशि तय होगी,
✅ और वह रकम ऑटोमैटिकली बैंक अकाउंट या डिजिटल वॉलेट से कट जाएगी।


फास्टैग से एक कदम आगे

भारत में वर्ष 2016 में फास्टैग (FASTag) की शुरुआत हुई थी, जो RFID टेक्नोलॉजी पर आधारित था। लेकिन इसमें समय के साथ समस्याएं आने लगीं जैसे:

  • टैग स्कैनिंग में दिक्कतें
  • ट्रैफिक जाम और लंबी कतारें
  • डुप्लीकेट या फर्जी टैग का दुरुपयोग

इन सबको देखते हुए सरकार ने टेक्नोलॉजी अपग्रेड करने का निर्णय लिया है।


लाभ क्या होंगे GPS Toll System से?

🚫 टोल प्लाजा पर रुकना नहीं पड़ेगा
⏳ समय की बचत और सफर में सुविधा
⛽ ईंधन की बचत
🔍 पारदर्शी टोल वसूली
🛣️ “Pay as You Drive” – जितनी दूरी, उतना टोल


सामान्य नागरिकों को कैसे मिलेगा फायदा?

  • मनमानी टोल वसूली पर लगाम
  • दूरी के अनुसार सटीक शुल्क
  • सफर होगा बेहतर और सुगम
  • टोल रसीद और खर्चों में पारदर्शिता

कब और कैसे लागू होगा ये सिस्टम?

🚧 फिलहाल नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
🗓️ नितिन गडकरी के अनुसार अगले 15 दिनों में नीति जारी होगी
📍 पहले कुछ हाईवे पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लागू किया जाएगा
🇮🇳 इसके बाद देशभर में चरणबद्ध तरीके से सिस्टम को लागू किया जाएगा

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