बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के राजपुर विकासखंड अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला उधेनूपारा में कक्षा 5वीं की परीक्षा में गंभीर अनियमितता का मामला सामने आया है। आरोप है कि एक छात्रा की जगह किसी अन्य छात्रा को परीक्षा में बैठाया गया, जिसकी पुष्टि होते ही दो महिला शिक्षिकाओं को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
प्रमिला तिग्गा और नीलू केरकेट्टा पर कार्रवाई
इस मामले में विद्यालय की प्रधान पाठक प्रमिला तिग्गा और सहायक शिक्षिका नीलू केरकेट्टा को दोषी पाया गया। जिला शिक्षा अधिकारी डी. एन. मिश्रा ने दोनों को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के तहत निलंबित कर दिया है।
निलंबन अवधि के दौरान दोनों शिक्षिकाओं का मुख्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय, शंकरगढ़ नियत किया गया है और उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता प्रदान किया जाएगा।
तीन सदस्यीय जांच समिति ने की पुष्टि
फर्जीवाड़े की सूचना मिलने पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक तीन सदस्यीय संयुक्त जांच समिति गठित की। जांच में यह स्पष्ट रूप से सामने आया कि कक्षा 5वीं की परीक्षा में वास्तविक छात्रा की जगह दूसरी छात्रा को जानबूझकर बैठाया गया, जोकि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-03 का उल्लंघन है।
✅ मुख्य बिंदु:
- बलरामपुर के शासकीय विद्यालय में परीक्षा में फर्जीवाड़ा
- प्रधान पाठक प्रमिला तिग्गा और सहायक शिक्षिका नीलू केरकेट्टा निलंबित
- तीन सदस्यीय जांच समिति ने किया खुलासा
- आचरण नियम 1965 और सेवा नियम 1966 के तहत कार्रवाई
- दोनों शिक्षिकाओं का मुख्यालय शंकरगढ़ किया गया निर्धारित
📌 इस मामले में क्या कहता है नियम?
छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियमों के तहत किसी भी सरकारी कर्मचारी द्वारा कर्तव्यों में लापरवाही, अनुशासनहीनता या कदाचार की स्थिति में सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। यह मामला न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर भी सवाल खड़ा करता है।