नई दिल्ली। वक्फ संशोधन एक्ट 2025 को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत में गुरुवार को सुनवाई के दौरान एक बड़ा मोड़ देखने को मिला। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया कि “वक्फ बाय यूजर” और वक्फ संपत्तियों की डिनोटिफिकेशन से जुड़े विवादास्पद प्रावधानों पर फिलहाल रोक लगाई जाएगी। इसके अलावा, केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्यों के वक्फ बोर्डों में कोई नई नियुक्ति भी नहीं की जाएगी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का बड़ा बयान
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया:
“सरकार 2025 वक्फ संशोधन एक्ट के तहत किसी भी प्रकार की नियुक्ति नहीं करेगी और ‘वक्फ बाय यूजर’ के तहत रजिस्टर्ड संपत्तियों में कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।”
यह बयान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार, और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ के समक्ष रिकॉर्ड में लिया गया।
सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणियाँ
मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया:
- “वक्फ बाय यूजर को रद्द करने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं।”
- कई नागरिकों के पास जरूरी दस्तावेज नहीं हैं, जिससे उनकी संपत्ति के अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।
कोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकारों और संबंधित वक्फ बोर्डों को 7 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। वहीं याचिकाकर्ताओं को 5 दिनों में प्रत्युत्तर दाखिल करना होगा।
केंद्र का पक्ष: “यह सोच-समझकर बनाया गया कानून है”
तुषार मेहता ने कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि कानून पर तत्काल रोक न लगाई जाए। उन्होंने कहा:
“केंद्र सरकार देश की जनता के प्रति जवाबदेह है। लाखों लोगों ने प्रतिनिधित्व दिया। कई गांवों और जमीनों को वक्फ घोषित किया गया है।”
याचिकाकर्ता कपिल सिब्बल का तर्क: “धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन”
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया:
“राज्य यह कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ संपत्ति बनाने के योग्य हूं?”
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 26 का हवाला देते हुए कहा:
“हर धार्मिक संप्रदाय को अपने संस्थानों की स्थापना और संचालन का अधिकार है।”
क्या है “वक्फ बाय यूजर” विवाद?
- यह प्रावधान वक्फ संपत्तियों को उपयोग के आधार पर वक्फ घोषित करने की अनुमति देता है, चाहे उसके मालिकाना दस्तावेज कुछ भी कहें।
- इससे कई निजी संपत्तियों पर वक्फ का दावा हो सकता है, जिससे कानूनी विवाद और सामाजिक तनाव की आशंका जताई गई है।
आगे क्या होगा?
कोर्ट पहले प्रमुख याचिकाओं की पहचान करेगा, जिनके आधार पर समान मामलों का निर्णय लिया जाएगा।
अगली सुनवाई 5 मई, 2025 को होगी।