रायपुर। राजधानी रायपुर के पंडरी इलाके में शुक्रवार रात उस समय हड़कंप मच गया जब एक व्यापारी गोविंद अग्रवाल के कथित अपहरण की खबर सामने आई। परिजनों ने तुरंत पुलिस को सूचित किया, जिसके बाद नाकेबंदी और तलाशी अभियान चलाया गया। लेकिन कुछ घंटों बाद खुलासा हुआ कि व्यापारी का अपहरण नहीं हुआ था, बल्कि उन्हें ओडिशा की झारसुगुड़ा पुलिस पूछताछ के लिए ले गई थी।
शॉपिंग के दौरान उठा ले गए लोग, परिवार ने जताई अपहरण की आशंका
घटना रात करीब 8 बजे की बताई जा रही है। व्यापारी गोविंद अग्रवाल अपने परिवार के साथ पंडरी के श्री शिवम शोरूम से बाहर निकले ही थे कि कुछ लोग उन्हें जबरन एक गाड़ी में बैठाकर ले गए। यह सब देख उनके परिजनों ने तुरंत अपहरण की आशंका जताई और सिविल लाइन थाना में शिकायत दर्ज कराई।
रायपुर पुलिस हुई सतर्क, नाकेबंदी में गाड़ी हुई पकड़
सूचना मिलते ही एसएसपी समेत पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। सीसीटीवी फुटेज की मदद से गाड़ी की पहचान की गई और आसपास के जिलों में नाकेबंदी कर दी गई। अंततः महासमुंद के पटेवा थाना क्षेत्र में संदिग्ध वाहन को रोका गया।
“अपहरणकर्ता” निकले ओडिशा पुलिसकर्मी
जांच में सामने आया कि व्यापारी को लेकर जा रहे लोग कोई अपहरणकर्ता नहीं, बल्कि ओडिशा के झारसुगुड़ा जिले की पुलिस टीम थी, जो सिविल ड्रेस में थी। वे गोविंद अग्रवाल को ठगी और मारपीट के एक पुराने मामले में पूछताछ के लिए साथ ले गए थे।
स्थानीय पुलिस को नहीं दी गई थी सूचना, फैला भ्रम
रायपुर पुलिस ने स्पष्ट किया कि ओडिशा पुलिस ने इस कार्रवाई की पूर्व सूचना नहीं दी थी, जिससे परिजनों और स्थानीय पुलिस को यह अपहरण का मामला लगा। यह लापरवाही कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है।
परिजन सदमे में, बोले बिना कुछ कहे
इस घटना से व्यापारी का परिवार काफी घबराया हुआ है। मीडिया द्वारा प्रतिक्रिया पूछे जाने पर परिजनों ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। रायपुर पुलिस ने उन्हें पूरी स्थिति समझाई और आश्वस्त किया।
क्या कहता है नियम?
एक राज्य की पुलिस द्वारा दूसरे राज्य में कार्रवाई करने से पहले स्थानीय पुलिस को सूचित करना अनिवार्य होता है। इस मामले में यह प्रक्रिया पूरी न होने से अनावश्यक तनाव और भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई।