राहुल गांधी के बोस्टन बयान पर बवाल, भाजपा ने बताया ‘भारत का अपमान’, कांग्रेस ने दी सफाई

नई दिल्ली। अमेरिका के बोस्टन में राहुल गांधी द्वारा भारतीय चुनाव प्रक्रिया और चुनाव आयोग पर उठाए गए सवालों को लेकर सियासी बवाल मच गया है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बयान पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने इसे विदेशी धरती पर भारत का अपमान करार दिया है, वहीं कांग्रेस ने इस बयान को तथ्यों पर आधारित बताया है।

संबित पात्रा ने बताया ‘देश का अपमान’

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “विदेश में जाकर भारत की आलोचना करना राहुल गांधी की पुरानी आदत है। उन्हें ईडी ने नेशनल हेराल्ड केस में चार्जशीट किया है। राहुल और सोनिया गांधी 50,000 रुपये की जमानत पर बाहर हैं। अगर उन्हें लगता है कि वे विदेश जाकर लोकतंत्र की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं, तो वे गलत हैं।”

‘जहां हारते हैं, वहां EVM पर सवाल उठाते हैं’

केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने भी राहुल गांधी को घेरते हुए कहा, “जब कांग्रेस झारखंड में जीतती है, तब चुनाव आयोग और ईवीएम सही होते हैं। लेकिन जब वे हारते हैं, तो इन्हीं संस्थाओं को दोषी ठहराते हैं। राहुल गांधी को तय करना चाहिए कि वे किसे सही मानते हैं।”

‘संवैधानिक संस्थाओं पर हमला’: सीआर केसवन

भाजपा नेता सीआर केसवन ने इसे भारत के लोकतंत्र पर हमला बताते हुए कहा, “राहुल गांधी और सैम पित्रोदा पर नेशनल हेराल्ड केस में आरोप हैं, और अब ये भारत को बदनाम करने निकले हैं। बोस्टन में उन्होंने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाकर संवैधानिक संस्थाओं पर सीधा हमला किया है।”


क्या कहा था राहुल गांधी ने?

बोस्टन की ब्राउन यूनिवर्सिटी में छात्रों से बातचीत में राहुल गांधी ने कहा था:

“महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शाम 5:30 से 7:30 के बीच 65 लाख वोट पड़े, जबकि यह संभव नहीं है। एक मतदाता को वोट डालने में औसतन 3 मिनट लगते हैं। इसका मतलब है कि रात 2 बजे तक लाइन लगी रही होगी, जो हुआ नहीं। हमने चुनाव आयोग से वीडियोग्राफी मांगी, तो उन्होंने न केवल मना किया बल्कि नियम भी बदल दिए।”


कांग्रेस की सफाई: ‘बात तथ्यात्मक है’

भाजपा के तीखे हमले के बाद कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा:

“राहुल गांधी ने जो कहा, वह आंकड़ों के आधार पर था। भाजपा को यह सोचना चाहिए कि देश के चुनाव आयोग की साख बहाल कैसे हो, न कि आलोचना को दबाने की कोशिश करें। जब तक चुनाव आयोग स्वतंत्र नहीं होगा, लोकतंत्र कैसे मजबूत होगा?”

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