नियद नेल्लानार योजना से बदल रही है पालनार की तस्वीर, 20 साल बाद गांव में लौटी रौशनी

बीजापुर : माओवाद प्रभावित क्षेत्र बीजापुर के ग्राम पंचायत पालनार में छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी नियद नेल्लानार योजना के तहत विकास की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़ा यह पंचायत सात पारा-मोहल्लों में विभाजित है, जो कभी माओवादियों के आतंक का गढ़ माना जाता था।

20 साल बाद गांव में लौटी बिजली की रौशनी

पालनार के ग्रामीणों के अनुसार 80 के दशक में गांव में बिजली व्यवस्था थी, लेकिन 2005 में सलवा जुडुम और माओवादी हमलों के कारण गांव पूरी तरह उजड़ गया और बिजली व्यवस्था ध्वस्त हो गई। लगभग दो दशक तक गांव अंधेरे और भय के साये में रहा। लेकिन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर शुरू हुई नियद नेल्लानार योजना ने गांव की किस्मत बदल दी।

अब गांव में पुलिस सुरक्षा कैम्प की स्थापना, मोबाइल टॉवर की सुविधा और 100% विद्युतीकरण जैसे कार्य पूरे हो चुके हैं। इससे न केवल कनेक्टिविटी बढ़ी है, बल्कि ग्रामीणों को सुरक्षा और आत्मविश्वास का नया एहसास मिला है।

सरपंच मालती ताती की बातें

ग्राम सरपंच मालती ताती ने बताया कि पहले गांव में रात के अंधेरे के कारण भय का माहौल रहता था। जंगली जानवरों, सांप-बिच्छुओं से खतरा बना रहता था। लेकिन अब गांव रोशन है, जिससे सुरक्षा का वातावरण बना है और बच्चों की पढ़ाई में भी सुधार हो रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह योजना ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रही है।

तीन सौ घरों तक पहुंची बिजली, 14 ट्रांसफार्मर लगाए गए

पालनार की सबसे बड़ी चुनौती थी गांव का विस्तृत और दूर-दूर बसाहट वाला क्षेत्र होना। कलेक्टर बीजापुर ने बताया कि इस क्षेत्र में 300 से अधिक घरों तक बिजली पहुंचाना एक बड़ा कार्य था। इसके लिए लगातार मेहनत करते हुए 14 ट्रांसफार्मर लगाए गए और अब हर घर में बिजली की सुविधा उपलब्ध है।

नियद नेल्लानार योजना बनी बदलाव की नींव

नियद नेल्लानार योजना से माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में विकास, सुरक्षा और जनसुविधाएं तेजी से पहुंच रही हैं। पालनार इसका सशक्त उदाहरण बनकर उभरा है, जहां अब अंधेरे की जगह उम्मीदों की रौशनी है।

ग्रामीणों ने जताया आभार

गांव में विकास कार्यों के चलते ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का आभार व्यक्त किया और भरोसा जताया कि आने वाले दिनों में पालनार एक विकसित और आत्मनिर्भर पंचायत के रूप में पहचान बनाएगा।

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