भारत में जलवायु परिवर्तन का असर: फरवरी में रिकॉर्ड गर्मी, पहली बार सर्दी में लू

भारत में जलवायु परिवर्तन का असर अब साफ दिखने लगा है। इस साल 15 मार्च 2025 को ओडिशा और झारखंड में पहली गर्म रात दर्ज की गई, जबकि 2024 में यह स्थिति अप्रैल और मई में देखने को मिली थी। इसके अलावा, 25 फरवरी को महाराष्ट्र और गोवा में पहली बार लू दर्ज की गई, जो भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार सर्दी के महीनों में लू चलने की पहली घटना थी।

तापमान तेजी से बढ़ रहा है

IMD के अनुसार, पिछले 125 वर्षों में फरवरी में इतनी अधिक गर्मी कभी नहीं देखी गई। 16 मार्च 2025 को ओडिशा के बौध में भारत का सबसे अधिक तापमान 43.6°C दर्ज किया गया। झारसुगड़ा और बोलंगीर में भी तापमान 42°C और 41.7°C तक पहुंच गया।

फरवरी में देश के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में रात का तापमान सामान्य से 3-5°C अधिक रहा। ओडिशा और झारखंड में 15 मार्च को गर्म रात दर्ज की गई, जबकि 2024 में यह 5 अप्रैल और 29 मई को हुई थी।

गर्म रातों का बढ़ता खतरा

10 राज्यों में तापमान सामान्य से 5°C अधिक पहुंचा।
 ओडिशा में 12 और 20 फरवरी को दो बार यह रिकॉर्ड बना।
 राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में भी रात का तापमान 5°C से अधिक दर्ज किया गया।

पहाड़ी इलाके भी चपेट में

पहले सिर्फ मैदानी इलाकों में हीटवेव महसूस होती थी, लेकिन अब हिमाचल प्रदेश और केरल जैसे राज्यों में भी लू की घटनाएं बढ़ रही हैं। कर्नाटक में भी 2030 तक 2°C तापमान बढ़ने का अनुमान है, जिससे गर्मी और घातक हो सकती है।

शहरों में ‘अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट’

शहरों में कंक्रीट और ऊंची इमारतें रात में गर्मी को अवशोषित कर उसे धीरे-धीरे छोड़ती हैं, जिससे रातें भी गर्म बनी रहती हैं। IMD की रिपोर्ट बताती है कि यह प्रभाव अब पहले से ज्यादा स्पष्ट हो गया है, जिससे शहरों में गर्म रातें लगातार बढ़ रही हैं।

जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य पर प्रभाव

वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण गर्म रातों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ‘लैंसेट जर्नल’ के एक अध्ययन में बताया गया है कि असामान्य रूप से गर्म रातें नींद और स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं।

क्या यह नया सामान्य है?

फरवरी 2025 में भारत का औसत तापमान 22.04°C रहा, जो सामान्य से 1.34°C अधिक था। इससे पहले, 2016 में 1.29°C की वृद्धि दर्ज की गई थी। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत में मौसम चरम स्थितियों की ओर बढ़ रहा है, और आने वाले वर्षों में यह समस्या और गंभीर हो सकती है।

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