नई दिल्ली। इसरो के चंद्रयान-3 मिशन ने चांद की सतह पर पानी और बर्फ की खोज में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। विक्रम लैंडर पर मौजूद तापीय भौतिकी प्रयोग (ChaSTE) ने चंद्रमा की मिट्टी (रेगोलिथ) के इन-सीटू तापमान माप प्रदान किए हैं, जिससे पानी और बर्फ के जमा होने की संभावना को बल मिला है।
ChaSTE प्रयोग के प्रमुख निष्कर्ष
🔹 चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में 355K (82°C) तक का तापमान दर्ज किया, जो अपेक्षित 330K से 25K अधिक था।
🔹 तापमान वृद्धि का कारण लैंडर का 6° झुका हुआ ढलान बताया जा रहा है।
🔹 14° से अधिक ढलान वाले क्षेत्रों में पानी और बर्फ के स्थिर जमा होने की संभावना बढ़ी।
🔹 यह खोज भविष्य के चंद्र मिशनों और मानव बस्तियों की संभावनाओं के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।
चंद्रमा पर पानी की खोज क्यों महत्वपूर्ण?
इसरो के भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) के वैज्ञानिक के. दुर्गा प्रसाद ने कहा, “पानी और बर्फ का पता लगाना चंद्रमा पर इंसानों के जीवन की संभावना और आगे की खोज के लिए एक अहम कदम है।”
चंद्रमा पर मौजूद पानी का उपयोग भविष्य में:
✅ मानव अन्वेषण मिशनों के लिए पीने के पानी के रूप में
✅ रॉकेट ईंधन (हाइड्रोजन और ऑक्सीजन) बनाने के लिए
✅ दीर्घकालिक चंद्रमा बस्तियों के निर्माण में
चंद्रयान-3 की खोज का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि करने के लिए कई अंतरिक्ष एजेंसियां अनुसंधान कर रही हैं। चंद्रयान-3 द्वारा प्राप्त ChaSTE के डेटा से नासा, ईएसए और अन्य एजेंसियों के भविष्य के मिशनों को दिशा मिलेगी।
आगे क्या?
🔹 चंद्रयान-3 से मिले डेटा का विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा।
🔹 इसरो और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां चंद्रमा पर स्थायी मानव उपस्थिति की संभावनाओं पर शोध करेंगी।
🔹 चंद्रयान-3 की खोजों को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक पत्रिका Nature Communications Earth & Environment में प्रकाशित किया गया है।