नई दिल्ली। चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है, जो नवदुर्गा का सातवां रूप हैं। मां कालरात्रि को शक्ति, साहस और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। उनका रूप भयंकर है लेकिन वे अपने भक्तों को भयमुक्त करती हैं।
मां कालरात्रि का स्वरूप
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रंग: काला
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आंखें: तीन, जो ब्रह्मांड को रोशन करती हैं
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गहने: बिजली की माला
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वाहन: गधा
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हथियार: खड्ग और कांटा
मां कालरात्रि का रूप जितना भयानक दिखता है, उतनी ही वे करुणामयी और रक्षक हैं। वे अपने भक्तों को भय, रोग, दुर्घटनाओं और शत्रुओं से मुक्ति देती हैं।
मां कालरात्रि की पूजा विधि
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मां के सामने घी का दीपक जलाएं।
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उन्हें लाल फूल अर्पित करें।
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गुड़ का भोग लगाएं।
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मां के मंत्रों का जाप करें या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
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गुड़ का एक हिस्सा परिवार में बांटे और बाकी ब्राह्मण को दान करें।
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इस दिन काले कपड़े पहनने से बचें।
मंत्र जाप से शनि का प्रभाव होता है शांत
ज्योतिष के अनुसार, मां कालरात्रि की पूजा से शनि ग्रह की अशुभता भी कम होती है। अगर कुंडली में शनि दोष है या शत्रुओं की बाधा है, तो ये पूजा विशेष फलदायी होती है।
शत्रु और विरोधियों को शांत करने के उपाय
यदि आप किसी विरोध या मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं, तो रात के समय करें यह उपाय:
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सफेद या लाल कपड़े पहनें।
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मां कालरात्रि के सामने दीपक जलाएं और गुड़ चढ़ाएं।
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नवार्ण मंत्र का 108 बार जाप करें:
“ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” -
हर जाप के साथ एक लौंग चढ़ाएं।
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पूजा के बाद इन लौंगों को अग्नि में अर्पित करें।
इस उपाय से शत्रु शांत, मन स्थिर और आत्मबल मजबूत होता है।
नोट: मां कालरात्रि की पूजा में नियमों का पालन अवश्य करें और पूजा मन, वचन, कर्म से श्रद्धापूर्वक करें।