मध्य प्रदेश की दिवाली परंपराएं: कहीं श्मशान में जलते हैं दीप तो कहीं गायों के नीचे लेटते हैं लोग

मध्य प्रदेश :  में दिवाली 2025 का पर्व सिर्फ रोशनी और मिठाइयों तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां कई अनोखी और रोचक परंपराएं देखने को मिलती हैं। कहीं लोग श्मशान में दीप जलाकर पूर्वजों को याद करते हैं, तो कहीं गायों के नीचे लेटकर मन्नत पूरी करते हैं।

श्मशान में दीप जलाकर मनाई जाती है दिवाली
रतलाम के त्रिवेणी श्मशान घाट पर लोग रूप चौदस के दिन अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दीपक जलाते हैं। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और दिवाली से एक दिन पहले ही यहां श्रद्धालु इकट्ठा होकर अपने पूर्वजों को स्मरण करते हैं।

गौतमपुरा का हिंगोट युद्ध
इंदौर जिले के गौतमपुरा में दिवाली के दूसरे दिन पारंपरिक हिंगोट युद्ध होता है, जिसमें दो टीमें — तुर्रा और कलंगी — बारूद भरे हिंगोट एक-दूसरे पर फेंकती हैं। इसे वीरता और शौर्य के प्रदर्शन का प्रतीक माना जाता है।

गोहरी पर्व की परंपरा
झाबुआ और मालवा क्षेत्र में मनाया जाने वाला गोहरी पर्व दिवाली की सबसे अनोखी रस्मों में से एक है। इस परंपरा में लोग गायों के नीचे लेटते हैं और यह मान्यता है कि ऐसा करने से सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है।

धनगांव में एक दिन पहले मनती है दिवाली
मंडला जिले के धनगांव में ग्रामीण दिवाली का पर्व तय तिथि से एक दिन पहले मनाते हैं। स्थानीय मान्यता है कि ऐसा करने से गांव में अनहोनी नहीं होती।

रावणवाड़ा में रावण की मृत्यु का शोक
रावणवाड़ा गांव के लोग खुद को रावण का वंशज मानते हैं, इसलिए यहां रावण दहन नहीं किया जाता। बल्कि, दिवाली के दिन रावण की मृत्यु का शोक मनाया जाता है।

मध्य प्रदेश की ये परंपराएं दिखाती हैं कि दिवाली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि विविधता, संस्कृति और आस्था का अद्भुत संगम है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *