दिल्ली/मेडेलिन : कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा कोलंबिया के मेडेलिन स्थित EIA विश्वविद्यालय में दिए गए इंटरैक्टिव सत्र के बाद भारतीय राजनीति में बड़ा उबाल आ गया है। 2 अक्टूबर को दिए गए इस संबोधन में राहुल गांधी ने केंद्र सरकार और BJP-RSS की विचारधारा पर तीखी आलोचना की, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उन्हें ‘देश-विरोधी प्रचार’ करने का आरोप लगाते हुए कड़ी निंदा की है।
लोकतंत्र, चीन और अर्थव्यवस्था पर तीखे हमले
राहुल गांधी के निशाने पर मुख्य रूप से चार मुद्दे रहे। उन्होंने सबसे पहले दावा किया कि भारत में लोकतंत्र खतरे में है, और मौजूदा सरकार “कई धर्मों, परंपराओं और भाषाओं के संवाद” वाली लोकतांत्रिक व्यवस्था पर ‘व्यापक हमला’ कर रही है।
इसके बाद, उन्होंने RSS-BJP की विचारधारा को कमज़ोरों को दबाने वाला और शक्तिशाली के सामने झुकने वाला बताते हुए, चीन के संदर्भ में विदेश मंत्री के बयान को “कायरतापूर्ण” कहा। यह टिप्पणी BJP को सबसे ज़्यादा नागवार गुज़री है।
आर्थिक नीतियों पर, राहुल ने नोटबंदी (2016) और GST (2017) को ‘विनाशकारी’ बताया, जिनका उद्देश्य छोटे और मध्यम व्यवसायों (MSMEs) को बर्बाद करना और बड़े कॉरपोरेट्स को फायदा पहुँचाना था। उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के पूर्ण निजीकरण को भी ‘अव्यवहारिक’ बताया।
BJP का आक्रामक पलटवार
राहुल गांधी के इन बयानों पर BJP ने तत्काल और आक्रामक प्रतिक्रिया व्यक्त की। BJP प्रवक्ताओं ने इन टिप्पणियों को विदेशी मंच पर ‘देश को बदनाम करने की साज़िश’ करार दिया।
BJP प्रवक्ता गौरव भाटिया ने राहुल गांधी को ‘प्रचार का नेता’ (LoP) बताते हुए आरोप लगाया कि वह विदेश जाकर भारतीय लोकतंत्र पर हमला कर देश की छवि खराब कर रहे हैं। वरिष्ठ BJP नेता रविशंकर प्रसाद ने उनके बयानों को ‘देश-विरोधी’ बताया और चीन पर दिए गए बयान को देश की सेना और विदेश मंत्री का अपमान बताया।
BJP ने इस विदेशी दौरे को ‘असामयिक’ करार देते हुए कहा कि राहुल गांधी केवल नकारात्मक नैरेटिव गढ़ने और सियासी प्रचार करने के लिए ऐसा कर रहे हैं, जबकि भारत वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मज़बूत कर रहा है।