रायपुर। राजिम स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक में फर्जी ज्वेल लोन के जरिए 1.65 करोड़ रुपये से अधिक के गबन के मामले में सहायक प्रबंधक अंकिता पाणीग्रही की जमानत याचिका विशेष अदालत ने खारिज कर दी है। अदालत ने मामले की गंभीरता और जांच की प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए जमानत देने से इंकार किया।
क्या है पूरा मामला?
ईओडब्ल्यू-एसीबी के अधिवक्ता मिथलेश वर्मा ने बताया कि अंकिता को 8 अप्रैल को ओडिशा के बरगढ़ से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद, उसे अदालत में पेश किया गया और तीन मई तक न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया है। शनिवार को विशेष न्यायालय में अंकिता की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, जहां अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत याचिका को खारिज कर दिया।
जांच की शुरुआत और अनियमितताएं
राजिम स्थित बैंक में अंकिता पाणीग्रही पर आरोप है कि उसने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ज्वेल लोन स्वीकृत किए थे, जिससे बैंक को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि लोन आवेदकों के दस्तावेजों और सोने की जाँच में भारी अनियमितताएं पाई गईं हैं। इस मामले में बैंक के अन्य कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी गई है।