बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 36 साल पुराने बस्तर पेड़ कटाई घोटाले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने सीबीआई कोर्ट के 2010 के फैसले को पलटते हुए दोनों आरोपियों — वीरेंद्र नेताम और परशुराम देवांगन — को सभी आरोपों से बरी कर दिया है। यह मामला वर्ष 1989 में कोंडागांव वन क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई से जुड़ा था।
मामले में आरोप था कि कलेक्टर कोर्ट के आदेश में 150 पेड़ों की कटाई की अनुमति को बदलकर 250 पेड़ों की अनुमति दिखा दी गई थी। उस समय के अतिरिक्त कलेक्टर ने 150 पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी, लेकिन रीडर परशुराम देवांगन पर आरोप था कि उन्होंने आदेश में संख्या बदल दी। इसके बाद वीरेंद्र नेताम और अन्य ने 250 पेड़ काटकर लगभग 9 लाख 97 हजार रुपये की लकड़ी बेच दी।
सीबीआई ने इस मामले में 1998 में FIR दर्ज की थी, जिसके बाद रायपुर की विशेष अदालत ने 2010 में दोनों आरोपियों को साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों में तीन साल की सजा सुनाई थी।
हालांकि, हाईकोर्ट ने अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि सिर्फ शक या अनुमान के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। जस्टिस रजनी दुबे की बेंच ने माना कि हस्ताक्षर विशेषज्ञ की रिपोर्ट अधूरी थी, और कलेक्टर ने स्वयं स्वीकार किया कि आदेश में नीली स्याही से लिखे शब्द उन्हीं के हैं। अदालत ने यह भी पाया कि सारी राशि सरकारी खाते में जमा थी और किसी आरोपी को निजी लाभ नहीं हुआ।