भीलवाड़ा के श्री हरी सेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर में आज, शुक्रवार 31 अक्टूबर 2025 को कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी तिथि पर अक्षय आंवला नवमी का पावन पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। इस अवसर पर हरी शेवा धाम में भीलवाड़ा नगर की अनेक महिलाओं ने पारंपरिक रीति से आंवले के वृक्ष का पूजन-अर्चन किया। साथ ही, उन्होंने कल्पवृक्ष और कदम्ब वृक्ष की भी पूजा की और प्रसाद ग्रहण किया।
आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम जी ने उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि कार्तिक मास का यह महीना अत्यंत पवित्र माना जाता है। शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय आंवला नवमी कहा जाता है — ‘अक्षय’ का अर्थ है जो कभी क्षय न हो, अर्थात इस दिन किए गए पुण्य कर्म का फल अनंत काल तक बना रहता है।
स्वामी जी ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। इसलिए इस दिन महिलाएं व्रत रखकर आंवले के पेड़ की पूजा करती हैं और उसके नीचे बैठकर प्रसाद ग्रहण करती हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि कल्पवृक्ष का पूजन करने से सभी मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं, क्योंकि यह वही दिव्य वृक्ष है जो समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ था। इस पर्व का मुख्य संदेश है कि श्रद्धा, भक्ति और सेवा भाव से किया गया हर कार्य अक्षय पुण्य प्रदान करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भरता है।



















