तीन लाख मतदाताओं पर नागरिकता का सवाल, आयोग ने जारी किए नोटिस

पटना :बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के दौरान लगभग 3 लाख मतदाताओं को संदिग्ध नागरिकता के मामले में नोटिस जारी किए गए हैं। निर्वाचन अधिकारियों ने दस्तावेजों में गड़बड़ी मिलने के बाद इन लोगों से अपनी नागरिकता साबित करने को कहा है। 1 अगस्त को प्रकाशित ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में कुल 7.24 करोड़ मतदाताओं के नाम शामिल थे, जिनमें से 3 लाख मतदाताओं के दस्तावेज या तो संदिग्ध पाए गए हैं या उन्होंने अभी तक कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है।
सीमावर्ती जिलों में सबसे ज्यादा मामले
चिंताजनक बात यह है कि इन संदिग्ध मामलों में से सबसे ज़्यादा मामले राज्य के सीमावर्ती जिलों – पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, अररिया और सुपौल – से सामने आए हैं। निर्वाचन अधिकारियों ने आशंका जताई है कि इनमें से कई लोग बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से अवैध रूप से भारत में आए हो सकते हैं।
जांच प्रक्रिया और आयोग की सख्ती
इस मामले में जांच की प्रक्रिया बेहद सख्त रखी गई है। सबसे पहले इलेक्ट्रोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर्स (EROs) ने दस्तावेजों की गहन जांच की। इसके बाद स्थानीय स्तर पर सत्यापन किया गया, जिसके आधार पर इन संदिग्ध मतदाताओं को नोटिस जारी किए गए हैं। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी मतदाता का नाम अंतिम सूची से सिर्फ सुनवाई और आदेश के बाद ही हटाया जाएगा, ताकि किसी भी तरह की त्रुटि न हो।

25 सितंबर तक का अंतिम मौका

आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अब तक 99.11% संदिग्ध मतदाताओं ने अपने दस्तावेज जमा कर दिए हैं। हालांकि, जिन लोगों ने अभी तक अपने दस्तावेज जमा नहीं किए हैं, उन्हें अपनी नागरिकता प्रमाणित करने के लिए 25 सितंबर तक का अंतिम मौका दिया गया है। यदि वे इस समय सीमा तक ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो उनका नाम मतदाता सूची से हटाया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी और पारदर्शिता पर जोर
इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट भी नज़र बनाए हुए है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि मतदाता पहचान के लिए आधार कार्ड समेत 11 अन्य निर्दिष्ट दस्तावेजों को स्वीकार किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने और जनता का भरोसा जीतने की अपील की है।
आयोग ने भी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अपनी वेबसाइट पर उन 65 लाख मतदाताओं की सूची सार्वजनिक की है, जिन्हें मृत, प्रवासी या डुप्लीकेट पाए जाने के बाद सूची से हटाया गया है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *