पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिवंगत मां के खिलाफ एक सार्वजनिक कार्यक्रम में की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर राज्य में सियासी पारा गरमा गया है। इस टिप्पणी के विरोध में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) द्वारा गुरुवार को पूरे बिहार में बंद का आह्वान किया गया था। इसका असर राजधानी पटना समेत राज्य के कई जिलों में देखने को मिला, जहां एनडीए कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर जोरदार प्रदर्शन किया, जिसके कारण प्रमुख मार्गों पर यातायात पूरी तरह से ठप हो गया।
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। अकेले पटना में ही लगभग दो हजार पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर लगाया गया था। इसके अलावा, राज्य के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के कार्यालयों की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई थी।
बिहार बंद का व्यापक असर: पटना से दरभंगा तक


राजधानी पटना में सुबह सात बजे से ही एनडीए के कार्यकर्ता सड़कों पर सक्रिय हो गए। दानापुर के सगुना मोड़ पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने टायर जलाकर आगजनी की, जिससे सुगौना-खगौल मेन रोड पूरी तरह से जाम हो गया। प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान “मां का अपमान नहीं सहेंगे” और “नरेंद्र मोदी जिंदाबाद” जैसे जोरदार नारे लगाए। हार्टली मोड़, हाईकोर्ट परिसर और पीएमसीएच चौराहे पर भी बंद समर्थकों ने सड़क जाम कर दिया।
इसके अलावा, फुलवारी शरीफ, परसा बाजार, कुरथौल, सदर बाजार और पुनपुन जैसे पटना के आसपास के इलाकों में भी भाजपा और जदयू कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च निकाला। इन प्रदर्शनों में पूर्व सांसद रामकृपाल यादव, पूर्व मंत्री श्याम रजक और पूर्व विधायक अरुण मांझी जैसे वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए।
राज्य के अन्य हिस्सों में भी बंद का व्यापक असर देखा गया। दरभंगा में भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. इस्म त जहां के नेतृत्व में बंद समर्थकों ने पूरे शहर को ठप कर दिया। उन्होंने कहा कि जब राहुल गांधी और तेजस्वी यादव दरभंगा आए थे, तब मंच से प्रधानमंत्री और उनकी माता को गाली दी गई थी। इसके अलावा, मुजफ्फरपुर, गया, नवादा, आरा, सहरसा, भागलपुर, मधुबनी, बक्सर, समस्तीपुर और भोजपुर जैसे जिलों में भी एनडीए कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया, जिससे कई जगह ट्रैफिक ठप रहा।

जहानाबाद में विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा
बिहार बंद का असर जहानाबाद में भी व्यापक रूप से देखने को मिला, जहां विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ हिंसक घटनाएं हुईं। जिले के अरवल मोड़ पर एनडीए समर्थक जोरदार नारेबाजी कर रहे थे, तभी वहां से गुजर रही एक शिक्षिका ने कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर दी। इस पर नाराज कार्यकर्ताओं ने शिक्षिका के साथ धक्का-मुक्की शुरू कर दी। स्थिति बिगड़ती देख मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह शिक्षिका को अपनी गाड़ी में बैठाकर वहां से हटाया।
इसके अलावा, इसी मोड़ पर बंद समर्थकों ने एक राजद समर्थक को भी रोक लिया। दोनों पक्षों के बीच पहले तीखी बहस हुई, जो देखते ही देखते मारपीट में बदल गई। एनडीए समर्थकों ने राजद समर्थक की जमकर पिटाई कर दी, जिससे वह घायल हो गया। इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
नेताओं की कड़ी प्रतिक्रियाएं
प्रदर्शन के दौरान एनडीए नेताओं ने इस घटना को महिलाओं और देश का अपमान बताया। पूर्व मंत्री श्याम रजक ने इस टिप्पणी के लिए सीधे तौर पर राजद और कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “उन्होंने प्रधानमंत्री जी की मां का अपमान कर पूरे देश की सभी माताओं का अपमान किया है।” वहीं, पूर्व सांसद रामकृपाल यादव ने इसे “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” करार देते हुए कहा कि बिहार की जनता आने वाले चुनाव में एनडीए को भारी मतों से जिताकर इसका जवाब देगी।
फिलहाल, पुलिस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है और जांच कर रही है। इन घटनाओं ने यह दर्शा दिया है कि यह बंद केवल एक विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि विपक्षी दलों और एनडीए के बीच बढ़ते राजनीतिक तनाव का एक स्पष्ट संकेत भी था।