बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि बिना कारण पति से अलग रहने पर पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं मिलेगा। कोर्ट ने साफ किया कि पत्नी के पास अलग रहने का ठोस और वैध कारण होना जरूरी है, तभी वह भरण-पोषण की हकदार होगी।
यह फैसला मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की सिंगल बेंच ने सुनाया। मामला रायगढ़ की एक महिला से जुड़ा है, जिसने अपने पति से गुजारा भत्ता मांगते हुए फैमिली कोर्ट में आवेदन दिया था। उसने आरोप लगाया कि पति और उसके परिजन दहेज की मांग करते थे और उसे मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। पत्नी का कहना था कि पति भिलाई में कपड़ों का व्यवसाय करता है और हर माह करीब 70 हजार रुपये कमाता है, इसलिए उसे हर माह 20 हजार रुपये गुजारा भत्ता दिया जाए।
वहीं, पति ने अदालत में कहा कि पत्नी बिना किसी कारण के अलग रह रही है और झूठे आरोप लगाती है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद रायगढ़ फैमिली कोर्ट ने 27 सितंबर 2021 को महिला की अर्जी खारिज कर दी थी, यह कहते हुए कि उसके पास अलग रहने का कोई उचित कारण नहीं है।
महिला ने पति पर घरेलू हिंसा का केस भी दर्ज कराया था, लेकिन रायगढ़ के जेएमएफसी कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में पति और ससुराल पक्ष को बरी कर दिया।
हाईकोर्ट ने भी फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया और कहा कि सबूतों से स्पष्ट है कि महिला अपनी इच्छा से अलग रह रही है। जब तक वह अलग रहने का वैध कारण साबित नहीं करती, तब तक उसे भरण-पोषण का लाभ नहीं मिल सकता।



















