पीएम मोदी की एक फोन कॉल और टूटा ट्रंप का सपना, ASEAN Summit में नहीं होगी मुलाकात, जानें क्या है पूरा मामला

ASEAN Summit 2025: पीएम मोदी ने एक फोन कॉल से सात समंदर पार की सियासी हलचल को नया मोड़ दे दिया. मलेशिया में होने वाले आसियान शिखर सम्मेलन में उनकी गैरमौजूदगी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस अरमान को चकनाचूर कर दिया, जिसमें वह पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की उम्मीद लगाए बैठे थे. आइए, जानते हैं कि कैसे एक फोन कॉल ने पूरी तस्वीर बदल दी.

फोन कॉल ने साफ की तस्वीर
बुधवार की शाम को पीएम मोदी ने मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से फोन पर लंबी बातचीत की. इस बातचीत में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन सबसे बड़ा खुलासा यह रहा कि पीएम मोदी आसियान समिट में हिस्सा लेने कुआलालंपुर नहीं जाएंगे. पहले से तय कार्यक्रमों का हवाला देते हुए उन्होंने यह साफ कर दिया कि भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस सम्मेलन में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे. पीएम मोदी शायद डिजिटल माध्यम से इस समिट में कुछ हिस्सों में शामिल हो सकते हैं, लेकिन उनका मलेशिया दौरा अब पक्के तौर पर रद्द हो चुका है.

इस खबर ने ट्रंप की उस उम्मीद को तोड़ दिया. दरअसल, ट्रंप आसियान समिट को एक बड़े कूटनीतिक मंच के तौर पर देख रहे थे. ट्रंप को लग रहा था कि इस समिट में वह न सिर्फ पीएम मोदी से, बल्कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात कर सकेंगे. लेकिन अब यह मुलाकात टल गई है और ट्रंप को सिर्फ शी जिनपिंग से ही बात करने का मौका मिलेगा.

आसियान समिट और भारत की भूमिका
आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) शिखर सम्मेलन इस बार मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में हो रहा है. यह संगठन इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमा और कंबोडिया जैसे 10 देशों का समूह है. भारत 1992 से इस संगठन के साथ संवाद साझेदारी में शामिल है, जो 2012 में रणनीतिक साझेदारी तक पहुंच चुकी है. हर साल होने वाली इस समिट में भारत की मौजूदगी अहम होती है, क्योंकि यह भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का एक बड़ा हिस्सा है. हालांकि, इस बार भारत ने साफ कर दिया है कि पीएम मोदी की जगह विदेश मंत्री जयशंकर इस समिट में भारत का नेतृत्व करेंगे.

सूत्रों के मुताबिक, भारत ने मलेशिया को पहले ही सूचित कर दिया है कि जयशंकर ही आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे. यह फैसला भारत की कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें पीएम मोदी ने व्यस्त कार्यक्रमों के बीच डिजिटल माध्यम से अपनी मौजूदगी दर्ज कराने का विकल्प चुना है.

मोदी-इब्राहिम की बातचीत में और क्या हुआ?
पीएम मोदी और अनवर इब्राहिम की फोन कॉल सिर्फ आसियान समिट तक सीमित नहीं थी. दोनों नेताओं ने भारत और मलेशिया के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को और मजबूत करने पर भी बात की. व्यापार घाटे को कम करने, डिजिटल अर्थव्यवस्था में सहयोग बढ़ाने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा हुई. पीएम मोदी ने भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को और गति देने की बात दोहराई, जबकि अनवर इब्राहिम ने आसियान-भारत साझेदारी को और गहरा करने की प्रतिबद्धता जताई. इसके अलावा, दोनों नेताओं ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, व्यापार, निवेश और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी विचार साझा किए. यह बातचीत इस बात का सबूत थी कि भले ही पीएम मोदी समिट में शारीरिक रूप से मौजूद न हों, लेकिन भारत की कूटनीतिक सक्रियता में कोई कमी नहीं आएगी.

ट्रंप की उम्मीदों पर पानी क्यों फेरा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस समिट को एक बड़े मौके के तौर पर देख रहे थे. वह 26 अक्टूबर को कुआलालंपुर में दो दिन की यात्रा पर पहुंच रहे हैं. उनकी योजना थी कि इस मंच पर वह पीएम मोदी और शी जिनपिंग जैसे बड़े नेताओं से मुलाकात कर वैश्विक मसलों पर चर्चा करेंगे. लेकिन अब पीएम मोदी की गैरमौजूदगी ने उनकी इस योजना पर ब्रेक लगा दिया है. ट्रंप की इस समिट में मौजूदगी इसलिए भी अहम है, क्योंकि वह आसियान देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों को मजबूत करना चाहते हैं. साथ ही, चीन के साथ चल रही उनकी कूटनीतिक तनातनी के बीच शी जिनपिंग से मुलाकात को भी वह एक मौके के तौर पर देख रहे थे. लेकिन पीएम मोदी के साथ उनकी मुलाकात का इंतजार अब और लंबा हो गया है.

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