पटना : कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की 1,300 किलोमीटर लंबी वोटर अधिकार यात्रा सोमवार को पटना में संपन्न हो गई। इस मौके पर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (I.N.D.I.A.) के कई बड़े नेता उनके साथ सड़क पर उतरे और ‘गांधी से आंबेडकर’ नामक विशाल मार्च निकाला।
सुबह राहुल गांधी ने पटना के गांधी मैदान स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर मार्च की शुरुआत की। उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राजद नेता तेजस्वी यादव, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, भाकपा (माले) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, भाकपा महासचिव डी. राजा, माकपा नेता एम. ए. बेबी, शिवसेना (उद्धव गुट) के संजय राउत, राकांपा की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले, तृणमूल कांग्रेस के सांसद यूसुफ पठान और अन्य कई नेता मौजूद रहे।
मार्च में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव एक खुले बस में साथ निकले। बस पर खरगे, भट्टाचार्य और मुकेश सहनी भी मौजूद थे। यह मार्च गांधी मैदान से निकलकर एस.पी. वर्मा रोड, डाकबंगला चौराहा, कोतवाली, नेहरू पथ और इनकम टैक्स गोल चक्कर होते हुए पटना हाईकोर्ट के पास स्थित डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा तक पहुंचा।
विपक्षी नेताओं के तेवर
मार्च शुरू होने से पहले राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा –
“जो लोग लोकतंत्र और संविधान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें जनता करारा जवाब देगी।”
सीपीआई (माले) नेता दीपंकर भट्टाचार्य ने जोड़ा –
“यह यात्रा समाप्ति नहीं, बल्कि एक मील का पत्थर है। मताधिकार की लड़ाई अब और मजबूत होगी।”
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस यात्रा को “धार्मिक तीर्थयात्रा” की तरह बताया और कहा कि पटना का समापन कोई अंत नहीं, बल्कि लोकतंत्र बचाने के संघर्ष की नई शुरुआत है।


पटना में विपक्षी शक्ति प्रदर्शन
मार्च के समापन पर आंबेडकर प्रतिमा के पास विपक्षी नेताओं ने सभा की। गांधी मैदान और पूरे पटना शहर को नेताओं के पोस्टरों और बैनरों से सजाया गया। पोस्टरों में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे के साथ ही राजद प्रमुख लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव की तस्वीरें लगी थीं। सभा स्थल पर लगभग 20,000 महागठबंधन कार्यकर्ता जुटे, जिससे विपक्ष ने शक्ति प्रदर्शन किया।
क्यों निकाली गई यह यात्रा?
राहुल गांधी ने यह वोटर अधिकार यात्रा 17 अगस्त को सासाराम से शुरू की थी। कांग्रेस का दावा है कि बिहार में चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटा दिए, जिसे विपक्ष ने लोकतंत्र पर हमला बताया।
यात्रा 38 में से 25 जिलों के 110 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुज़री। कांग्रेस और सहयोगी दलों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर नाम हटाने से गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय प्रभावित हुए हैं।
वहीं, चुनाव आयोग का कहना है कि यह कार्रवाई उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर हुई। अदालत ने आयोग को 19 अगस्त तक हटाए गए नामों की सूची जारी करने और 22 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था।
पटना में इस मार्च के ज़रिए कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने यह संदेश दिया कि वे मताधिकार और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए एकजुट हैं। गांधी मैदान से आंबेडकर प्रतिमा तक यह यात्रा सिर्फ एक राजनीतिक मार्च नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र के बचाव की प्रतीकात्मक लड़ाई के रूप में पेश की गई।