म्यांमार में भूकंप से तबाही: 1700 से अधिक की मौत, बचाव अभियान जारी

म्यांमार में चार दिन पहले आए शक्तिशाली भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। अब तक 1700 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 3400 से ज्यादा घायल हैं और 139 लोग अब भी लापता हैं। मलबे में कई लोग दबे हुए हैं, जिससे बचाव अभियान तेजी से जारी है। स्थानीय लोग भी राहतकर्मियों के साथ अपनों को तलाशने में जुटे हैं। भीषण गर्मी के कारण शवों से दुर्गंध फैलने लगी है, जिससे हालात और बिगड़ रहे हैं।

35 लाख लोग बेघर, अस्पतालों में जगह नहीं

भूकंप की भयावहता इस बात से समझी जा सकती है कि 35 लाख से अधिक लोग बेघर हो गए हैं। अस्पतालों में इलाज के लिए जगह नहीं बची है, जिसके चलते सड़कों पर अस्थायी मेडिकल कैंप बनाए गए हैं। शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने कई इमारतों को तबाह कर दिया, जिससे म्यांमार पहले से चल रहे गृहयुद्ध और मानवीय संकट के बीच और मुश्किल में आ गया है।

मांडले बना राहत अभियान का केंद्र

म्यांमार में रविवार तक 6 और झटके महसूस किए गए। रविवार को 5.1 तीव्रता, शनिवार को 6.4 तीव्रता और शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। भारत ने ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत सबसे पहले मदद भेजी, जिसमें पांच सैन्य विमान, राहत सामग्री, बचाव दल और चिकित्सा उपकरण शामिल हैं। भारतीय टीम ने मांडले को अभियान का मुख्य केंद्र बनाया है, जहां राहत कार्य तेज किया जा रहा है।

हवा में सड़ांध, अपने तलाश रहे लोग

मांडले में हालात बेहद खराब हैं। सड़कों पर शवों के टुकड़े पड़े हुए हैं और लोग हाथों से मलबा हटाकर अपनों को तलाश रहे हैं। कई इलाकों में अभी तक राहत दल नहीं पहुंच सके हैं। संचार प्रणाली ठप, सड़कें और पुल ध्वस्त हो चुके हैं, जिससे राहत कार्य में दिक्कतें आ रही हैं।

40 घंटे बाद मलबे से निकला बुजुर्ग

नेपीता में सरकारी कार्यालयों को प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे स्थानीय लोग खुद मलबा हटाने को मजबूर हैं। चीन से आई बचाव टीम ने एक बुजुर्ग को 40 घंटे बाद सुरक्षित निकाला। सिंगापुर और थाईलैंड की टीमों ने भी राहत अभियान तेज कर दिया है।

थाईलैंड और इस्राइल की मदद

थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में 30 मंजिला निर्माणाधीन इमारत ढहने से 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि 100 से अधिक लोग अब भी फंसे हो सकते हैं। इस्राइल ने 21 विशेषज्ञों की बचाव टीम भेजी है।

म्यांमार में राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन हालात अभी भी बेहद गंभीर बने हुए हैं।

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