प्रकृति ने एक बार फिर से अपना रौद्र रूप दिखाया। लेह-लद्दाख में आज सुबह 4:32 बजे 3.6 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.6 दर्ज की गई और इसका केंद्र लेह-लद्दाख ही रहा। इस भूकंप ने एक बार फिर क्षेत्र में रहने वाले लोगों को दहशत में डाल दिया। इससे पहले, अफगानिस्तान में भी 4.2 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया था, जिससे पड़ोसी देश में भी डर का माहौल बन गया।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) की रिपोर्ट
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) ने पुष्टि की है कि भूगर्भीय हलचलें लगातार जारी हैं। यह घटना हमारी आपदा प्रबंधन तैयारियों की अहमियत को दर्शाती है। ऐसे भूकंप न केवल इलाके की संवेदनशीलता को उजागर करते हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि भूकंप के खतरों को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
भूकंप क्यों आते हैं?
भारत में भूकंपों का मुख्य कारण हिमालय क्षेत्र में टेक्टोनिक गतिविधियां हैं। भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच लगातार टकराव और तनाव के कारण भूकंप आते हैं। ये गतिविधियां उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में अक्सर महसूस की जाती हैं।
जब टेक्टोनिक प्लेटों के बीच संचित ऊर्जा अचानक रिलीज होती है, तो धरती कांपने लगती है। अगर यह ऊर्जा धीरे-धीरे निकलती है, तो झटके हल्के होते हैं, लेकिन अगर यह अचानक और बड़ी मात्रा में निकलती है, तो भयानक भूकंप आ सकता है।
क्या करें अगर भूकंप आए?
-
खुले स्थान पर चले जाएं, ऊंची इमारतों और पेड़ों से दूर रहें।
-
मजबूत टेबल या किसी ठोस चीज़ के नीचे छिपें।
-
लिफ्ट का इस्तेमाल न करें, सीढ़ियों का उपयोग करें।
-
भूकंप के बाद बिजली और गैस कनेक्शन की जांच करें।
भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, लेकिन सतर्कता और सही जानकारी हमें इससे बचा सकती है। इसलिए, सतर्क रहें और सुरक्षा नियमों का पालन करें।



















