RJD का ‘वोट शेयर’ बनाम NDA का ‘सीट शेयर’: कैसे BJP-JDU गठबंधन ने खेला बिहार में मास्टर स्ट्रोक?”

Bihar Election Results: बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने तमाम राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया. यहां तक कि एग्जिट पोल देने वाली सर्वे एजेंसियों ने भी जो अनुमान जताए थे, उससे कहीं बढ़कर बिहार में नतीजे आए. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए ने 202 सीटों पर जीत के साथ इतिहास रच दिया, तो राजद-महागठबंधन का सूपड़ा साफ हो गया. डिप्टी सीएम बनने का ख्वाब देखने वाले मुकेश सहनी पार्टी के एक उम्मीदवार को नहीं जीता पाए. बिहार में बदलाव की बात करने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के 90 फीसदी उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा पाए. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने 2020 की सफलता को दोहराते हुए फिर 5 सीटों पर कब्जा जमा लिया. बिहार चुनावों के नतीजे भले ही आरजेडी के लिए सीटों के लिहाज से झटका देने वाले रहे, लेकिन वोट पाने के मामले में पार्टी ने अन्य दलों को काफी पीछे छोड़ दिया.

बिहार चुनाव के ऐतिहासिक नतीजों के पीछे ऐतिहासिक वोटर टर्नआउट भी रहा. वोट प्रतिशत की बात करें तो आरजेडी के खाते में सबसे अधिक 23% वोट आए. ये प्रतिशत अन्य दलों से अधिक रहा. बिहार चुनाव में भाजपा को 20.08% वोट मिले. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को 19.25% वोट मिले. वहीं महागठबंधन में दूसरे नंबर की पार्टी कांग्रेस को 8.71 फीसदी वोट मिले. कांग्रेस का वोट प्रतिशत दर्शाता है कि महागठबंधन कहां पिछड़ गया.

RJD वोट प्रतिशत के मामले में सबसे बड़ी पार्टी
कुल वोटों के आंकड़ों पर गौर करें तो यहां भी आरजेडी ने अन्य दलों को पीछे छोड़ दिया. आरजेडी को 1 करोड़ 14 लाख से ज्यादा वोट मिले, जो इस चुनाव में किसी भी सिंगल पार्टी को मिले सबसे अधिक वोट हैं. कांग्रेस को 43.7 लाख मिले, भाकपा (माले) को 14.2 लाख, सीपीआई को 3.72 लाख, आईआईपी को 1.84 लाख और वीआईपी को 6. 84 लाख वोट मिले. इस तरह, बिहार चुनाव में महागठबंधन को करीब 1.88 करोड़ वोट मिले.

गठबंधन के तौर पर NDA रहा हावी
वहीं एनडीए को बिहार चुनाव में 2 करोड़ 33 लाख वोट मिले. इसमें बीजेपी को करीब 1 करोड़, जेडीयू को 96 लाख 67 हजार, लोजपा को 24 लाख 97 हजार, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को 5 लाख 87 हजार और राष्ट्रीए लोक मोर्चा को 5 लाख 33 हजार वोट मिले. यानी, आरजेडी ने सिंगल पार्टी के तौर पर सबसे ज्यादा वोट तो पाए, लेकिन गठबंधन के तौर पर एनडीए हावी रहा और 202 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहा.

महागठबंधन को बिहार में 37.54 फीसदी वोट मिले, जबकि एनडीए को उसके मुकाबले करीब 47 फीसदी वोट मिले, जो करीब 10 फीसदी के अंतर को दर्शाता है. एनडीए के घटक दलों को जो वोट मिले, उसने चुनावी जीत में बड़ी भूमिका निभाई. यानी जीतन राम मांझी की पार्टी ‘हम’ 6 सीटों पर लड़ रही थी और 5 पर कब्जा किया, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने भी 6 में से 4 पर जीत दर्ज की. चुनावी नतीजों पर गौर करें तो एनडीए में बीजेपी-जेडीयू को अपने सहयोगियों से 28 सीटों का साथ मिला. जबकि महागठबंधन में आरजेडी खुद 25 सीटों पर तो सिमटी ही, सहयोगियों ने भी निराश किया.

भाजपा और RJD की सीटों में बड़ा फासला
बिहार चुनाव में आरजेडी ने बीजेपी से 14 लाख से ज्यादा वोट हासिल किए लेकिन सीटों के मामले में पार्टी काफी पीछे रही. राजद को केवल 25 सीटों पर जीत मिली और 89 सीटों के साथ बीजेपी सबसे अधिक पाने वाली पार्टी बनी. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राजद का वोट बैंक बिखरा हुआ था और यही वजह है कि वोट प्रतिशत अधिक होने के बाद भी पार्टी को इसका ज्यादा फायदा नहीं मिल पाया. अन्य दलों की बात करें तो AIMIM ने 1.85 फीसदी वोट शेयर के साथ 5 सीटों पर कब्जा जमाया. वहीं बसपा को 1.62 वोट शेयर के साथ एक सीट हासिल हुई.

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