भाई दूज 2025: आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई दूज का पर्व मनाया जा रहा है। यह दिवाली के पंच महापर्व का अंतिम दिन होता है और इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं, उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई का सत्कार करती हैं। मान्यता है कि जो भाई बहन के घर जाकर भोजन ग्रहण करता है और तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती। भाई दूज पर चित्रगुप्त जी की पूजा भी की जाती है।
शुभ मुहूर्त:
- पहला अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:43 से 12:28
- दूसरा मुहूर्त: दोपहर 1:13 से 3:28
- विजय मुहूर्त: दोपहर 1:58 से 2:43
- अंतिम गोधूली मुहूर्त: शाम 5:43 से 6:09
पूजा विधि: बहनें भाई के लिए रोली, अक्षत, नारियल, मिठाई और फूलों की थाली तैयार करती हैं। सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा होती है। फिर घर के उत्तर-पूर्वी दिशा में चौक बनाकर भाई को बिठाकर तिलक किया जाता है और आरती उतारी जाती है। अंत में बहनें मिठाई खिलाती हैं और अपने हाथों से बनाया भोजन परोसती हैं।
भाई दूज कथा: पौराणिक कथा के अनुसार, नरकासुर का वध करने के बाद भगवान कृष्ण द्वारका लौटे, तब उनकी बहन सुभद्रा ने उन्हें फल, फूल, मिठाई और दीयों से स्वागत किया और तिलक करके उनके दीर्घायु की कामना की।
भाई को देने के उपहार:
- वस्त्र और आभूषण
- सौंदर्य प्रसाधन या खुशबू
- चांदी का सिक्का या धन
- मिठाई और चॉकलेट
ध्यान दें: काले रंग की वस्तुएं उपहार में न दें।