रायपुर कस्टम मिलिंग घोटाला: अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा के खिलाफ 1500 पन्नों का चालान पेश

रायपुर। कस्टम मिलिंग घोटाले में बड़ा अपडेट, अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा के खिलाफ EOW का चालान पेशछत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कस्टम मिलिंग घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बड़ा कदम उठाया है। ब्यूरो ने विशेष न्यायालय में 1500 पन्नों का चालान दाखिल किया है, जिसमें अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा के खिलाफ गंभीर आरोप शामिल किए गए हैं। दोनों आरोपी इस समय रायपुर की केंद्रीय जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।

इससे पहले, फरवरी 2025 में EOW ने इसी घोटाले में रोशन चंद्राकर और मनोज सोनी के खिलाफ पहला चालान दाखिल किया था।

EOW का आरोप — 20 करोड़ रुपये की अवैध वसूली

EOW की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अनिल टुटेजा ने छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ मिलकर आपराधिक षड्यंत्रपूर्वक राइस मिलर्स से अवैध वसूली की थी। इस अवैध वसूली से कम से कम 20 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ उठाया गया।

जांच के अनुसार, वसूली के लिए मार्कफेड के जिला विपणन अधिकारियों पर दबाव बनाया जाता था, जिससे राइस मिलर मजबूर होकर प्रति क्विंटल 20 रुपये की दर से रिश्वत देते थे।

अनवर ढेबर की भूमिका

EOW की रिपोर्ट में कहा गया है कि अनवर ढेबर वर्ष 2022–23 में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति थे। आयकर विभाग की रेड के दौरान मिले डिजिटल साक्ष्यों से यह साबित हुआ कि वह न केवल शराब घोटाले बल्कि PWD और वन विभाग जैसे अन्य विभागों में भी प्रभाव रखते थे।
ढेबर पर आरोप है कि उन्होंने अनिल टुटेजा के लिए वसूले गए पैसों का संग्रह, निवेश और उपयोग किया।

कैसे खुला घोटाले का राज

कस्टम मिलिंग घोटाले का खुलासा वर्ष 2023 में हुआ, जब ED को इस घोटाले की शिकायत मिली। अक्टूबर 2023 में ईडी ने मार्कफेड के तत्कालीन एमडी मनोज सोनी और कई राइस मिलर्स के ठिकानों पर छापेमारी की।
जांच में सामने आया कि मनोज सोनी ने 33 जिलों में वसूली का जिम्मा अनवर ढेबर को सौंपा था, जिन्होंने अपने नेटवर्क के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध रकम वसूली।

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