CG High Court News : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने मस्तूरी रोड पर स्टंट करने वाले युवकों के मामले में पुलिस की कार्रवाई पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पुलिस गरीब और मध्यम वर्ग पर तो सख्ती दिखाती है, लेकिन पैसे और रसूख वालों के सामने ‘बेवश बाघ’ बन जाती है। अदालत ने निर्देश दिया है कि जब्त की गई 18 कारें कोर्ट की अनुमति के बिना रिहा नहीं होंगी।
हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को भी आदेश दिया है कि वे शपथ पत्र दाखिल कर बताएं कि अब तक आरोपियों के खिलाफ क्या ठोस कार्रवाई की गई है। कोर्ट ने पुलिस रवैये पर टिप्पणी करते हुए कहा कि संपन्न अपराधियों को मामूली जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाता है, जबकि गरीब और दलित वर्ग को कड़ी सजा दी जाती है। यह न्याय व्यवस्था के खिलाफ है।
यह मामला 19 सितंबर को सामने आया था, जब कुछ युवक फार्म हाउस पार्टी के लिए जाते समय मस्तूरी रोड पर गाड़ियों की खिड़की और सनरूफ से खतरनाक स्टंट कर रहे थे। लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हाईवे पर जाम की स्थिति बन गई थी। राहगीरों ने इसका वीडियो बनाकर पुलिस को सौंपा, जिसके बाद 18 कारों को जब्त किया गया।
सुनवाई में महाअधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने बताया कि वाहनों को जब्त कर ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की गई है। हालांकि, हाईकोर्ट ने इसे ‘आंखों में धूल झोंकने’ जैसा करार दिया और निर्देश दिया कि आरोपियों पर सिर्फ मोटर व्हीकल एक्ट ही नहीं, बल्कि भारतीय न्याय संहिता की कठोर धाराओं में केस दर्ज होना चाहिए, ताकि यह मामला दूसरों के लिए भी सबक बने। अगली सुनवाई 23 सितंबर को होगी।



















